शासन को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के प्रति संवेदनशील होना चाहिए,थांदला से कुंण्डेश्वर टाइम्स ब्यूरो मनीष वाघेला की विशेष रिपोर्ट

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थांंदला – म. प्र. में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है । संपूर्ण लाकडाउन शासन के आदेशानुसार 22 मार्च से बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया गया। इन विषम परिस्थितियों में अपनी जान की परवाह किए बिना पत्रकार अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे है इन परिस्थितियों में शासन, प्रशासन और आम जनता के बीच की कड़ी है संवादाता जो अपनी समय की सीमा नही देखता वह जनकल्याण की भावना से बिना किसी भय के निरन्तर अपने कर्तव्य के प्रति संवेदनशील रहता है शासन को भी चाहिए कि वह किसी भी पत्रकार के संक्रमित होने पर अन्य शासकीय कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं की भांति पत्रकारों एवं उनके परिजनों का भी ध्यान रखे।
राज्य शासन ने अभी तक पत्रकारो के लिए ऐसी कोई
योजना केंद्र सरकार और प्रदेश की सरकार के द्वारा नही बनाई जिस तरह बीपीएल कार्ड धारियों, श्रमिकों और किसानों इत्यादि को जिस तरह से राहत राशियां रियायती दर पर खाद्य सामग्री प्रदान करने की घोषणा की गई है। पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले पत्रकारों के हितों का भी सरकारों के द्वारा ख्याल रखना चाहिए l
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी पत्रकारों लिए कहा है कि वे रात दिन की अपनी सेवाएं दे रहे है । इन जाबांज पत्रकारो के लिए उन्होंने पत्र क्रमांक 27/2020 दिनांक 21 अप्रेल को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को पत्र के माध्यम से 50 लाख रुपये का बीमा किया जाना तथा जिस तरह से स्वास्थ्य कर्मियों को जो किट दिया है । पत्रकारो की सुरक्षा के लिए उन्हें भी किट वितरित किया जाए। उन्होंने महाराष्ट्र का हवाला देते हुए कहा कि
बम्बई में भी बहुत से पत्रकारों को कोविंद 19 कोरोना से ग्रसित होकर पत्रकारों ने अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी ऐसे ही हमारे प्रदेश के सभी निष्ठावान पत्रकारो को भी शासन की और से लाभ दिया जावे।
पत्रकारों की चिंता की करते हुए कोरोना को लेकर मध्यप्रदेश में गठित टास्क फोर्स की दूसरी बैठक में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मध्य प्रदेश शासन के पूर्व जनसंपर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कोरोना से जंग के लिए विभिन्न उपायों और सुझावों पर चर्चा की। उन्होंने कोविड 19 में जान जोखिम में डाल कर काम कर रहे पत्रकारों के लिए 50 लाख का बीमा कवर करने संबंधी सुझाव भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दिया ।
श्री मिश्रा ने कहा कि जिस तरह से चिकित्सक और पुलिसकर्मी दिन रात अपने इस युद्ध में जुटे हुए हैं और कोरोना से लड़ रहे हैं उसी तरह से पत्रकार भी पूरी मुस्तैदी के साथ अपना कर्तव्य निभा रहे हैं, ऐसे में मैदानी और श्रमजीवी पत्रकारों की चिंता सरकार को करना चाहिए। जैसे चिकित्सकों और पुलिसकर्मियों को ₹50 लाख के बीमा कवर में शामिल किया गया हैं, उसमे प्रेस प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
श्री मिश्रा ने इस मांग को सुझाव के रूप में मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जिस पर शिवराज सिंह चौहान ने उचित निर्णय लेने का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान पत्रकारो के लिए क्या पैकेज की घोषणा करते है यह आने वाला समय बताएगा कि वे पत्रकारों के प्रति कितने संवेदनशील है।
आज जरूरत है प्रदेश के सभी पत्रकारो के लिए तत्काल 50 लाख व अन्य उपकरणों की घोषणा कर राहत दी जाए । ताकि वे अपने कर्तव्य के पथ पर अविरल चलते रहे ।
देश में आज नाम मात्र के बराबर अपने जोखिम भरे कार्यों के बदले पारितोषिक प्राप्त करने वाले पत्रकारों की संख्या नगण्य है, ज्यादातर पत्रकार बगैर किसी सैलरी या मेहनताने के काम करते हैं, ऐसी स्थितियों में उन पत्रकारों को भी अपने घर परिवार के भरण-पोषण विशेषकर ऐसी विकराल परिस्थितियों में और भी कठिन चुनौतियों से गुजरना पड़ता है, ऐसी स्थितियों में हमारी सरकारों को पत्रकारों के प्रति भी संवेदनशील होना चाहिए ।
पत्रकारिता जैसे चुनौतीपूर्ण कार्य करने वाले उन सभी संक्रमित पत्रकारों के परिवारों के प्रति भी शासन द्वारा कुछ ना कुछ राहत राशि प्रदान कर उन्हें संबल प्रदान करने की आवश्यकता है जिससे कि आने वाले समय में लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ और मजबूती के साथ खड़ा होकर अपनी जिम्मेदारियों को भरपूर तरीके से अपने कार्यों का निर्वहन कर सके ।
समाज को सजगता प्रदान करने हेतु अपनी कलम के माध्यम से प्रेरित कर लोगों को आगाह करने वाला लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ आज पूरी तरह उपेक्षा का शिकार है , जिस पर हमारी सरकारों एवं जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की आवश्यकता है ।

मनीष वाघेला,ब्यूरो कुंण्डेश्वर टाइम्स थांंदला

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