भाजपा के ध्वज में विदा हुए वरिष्ठ समाज सेवी विजय कुमार जी मलैया.. बाबूजी को मलैया मिल परिसर से लेकर मुक्तिधाम तक नम आंखों से दी सभी ने अंतिम विदाई.. बाबूजी के साथ सादगी, सरलता, सज्जनता के एक युग का अंत..,दमोह से कुंडेश्वर टाइम्स ब्यूरो मोहन पटेल की रिपोर्ट

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मलैया परिसर से मुक्तिधाम तक नम आंखों से अंतिम विदाई

दमोह। वरिष्ठ समाजसेवी श्री विजय कुमार मलैया की पार्थिव देह को नम आंखों के साथ सभी ने आज अंतिम विदाई दी। इस दौरान मलैया मिल परिसर से लेकर मुक्ति धाम तक रास्ते में जगह-जगह उनके अंतिम दर्शन करने तथा श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालो का तांता लगा रहा। हर वर्ग समुदाय और राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों के चहेते रहे बाबू जी के नाम से विख्यात श्री विजय कुमार जी मलैया की पार्थिव देह बुधवार सुबह भोपाल से दमोह जाने के बाद मलैया मिल परिसर स्थित उसी प्रांगण में अंतिम दर्शनों के लिए रखी गई थी यहां अनेक वर्षों तक बाबूजी विचरण करते हुए नजर आते थे।

बाबूजी की पार्थिव देह को फूल मालाओं के साथ भाजपा के ध्वज से ढका गया था। 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के साथ संस्थापक सदस्यों में से एक रहे बाबू विजय कुमार जी मलैया भारतीय जनता पार्टी की तरफ से 1980 में लोकसभा चुनाव लड़ने वाले दमोह पन्ना संसदीय क्षेत्र से पहले भाजपा प्रत्याशी थे। हालांकि इसके बाद बाबू जी ने कोई चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन उनकी जगह पार्टी की जिम्मेदारियां उनके पुत्र जयंत मलैया ने शिरोधार्य कर ली थी। जिस वजह से बाबूजी के राजनीति से दूर हो जाने के बाद भी मलैया मिल परिसर लगातार भाजपा की राजनीति का केंद्र और शक्ति स्थल बना रहा।

 


बाबूजी की अंतिम यात्रा सुबह 11 बजे निकलने की जानकारी सभी को कल ही मिल गई थी इसके बावजूद सुबह 7 बजे से ही बाबूजी के अंतिम दर्शन करने के लिए आने वालों का तांता लगना शुरू हो गया था। इस दौरान पूर्व वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया उनकी धर्मपत्नी डॉ सुधा मलैया पुत्र निशांत एवं सिद्धार्थ मलैया, छोटे भाई हेमंत मलैया सहित अन्य दुखी परिजनों को लोग सांत्वना देते हुए ढांढस बंधा रहे थे। मंदिर जी के सामने स्थित आवास के द्वार के पास जहां बाबूजी अक्सर बैठे नजर आते थे वहां बार-बार सभी की नजरें जा रही थी। वही हमेशा पक्षियों के कोलाहल से चहचाहने वाले मलैया मिल के इस परिसर में आज गहरी खामोशी छाई हुई थी। मानो उन परिंदों को भी यह पता लग गया हो कि उनके दाने पानी की पचासों वर्षो से चिंता रखने वाले बाबूजी ने अब नश्वर काया का त्याग कर दिया है।

मलैया मिल परिसर में बाबू जी की पार्थिव देह के दर्शन करने तथा पुष्पांजलि अर्पित करने का घंटों का समय कब मिनटों में पूरा हो गया यह पता ही नहीं लगा और आखिर अंतिम विदाई की वह घड़ी आ गई जब बाबूजी की काया को उस परिसर से हमेशा के लिए विदा किया गया जहाँ उन्होंने अपने जीवन के अनेकों वर्ष विताएँ थे।

कोरोना संक्रमण काल को ध्यान में रखकर परिजनों ने अंत्येष्टि में कम से कम लोगों से पहुंचने की अपील की थी लेकिन इसके बावजूद सभी वर्ग समाज के लोगो के मन मे छिपी उनके अंतिम दर्शनों की ललक मलैया मिल परिसर से लेकर मुक्तिधाम मार्ग तक लोगों को एकत्रित करने से नहीं रोक सकी। मुक्ति धाम में भी विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने शोक संवेदनाए व्यक्त करते हुए बाबूजी का श्रद्धांजलि अर्पित की।

बाबूजी अब इस संसार में नहीं रहे लेकिन उनकी सादगी सज्जनता सरल स्वभाव हमेशा उनकी याद दिलाती रहेगी। परमपिता परमेश्वर अंतिम उनकी अंतरात्मा को अपने चरणों में स्थान दे और परिजनों को यह गहन दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

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