डिप्टी कमिश्नर केपी पांडेय पर 25 हज़ार रुपये जुर्माने का कारण बताओ नोटिस जारी,कुंडेश्वर टाइम्स प्रबंध सम्पादक शिवरतन नामदेव की रिपोर्ट

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रीवा – मध्य प्रदेश सूचना आयुक्त राहुल सिंह के द्वारा रीवा और शहडोल संभाग को लेकर सूचना के अधिकार कानून के उल्लंघन पर ताबड़तोड़ कार्यवाही की जा रही। हाल यह हैं की लोक सूचना अधिकारी अपनी कानूनी तौर पर जुर्माने और कार्यवाहियों से सुरक्षा के लिए आरटीआई कार्यकर्ताओं और कानून की समझ रखने वाले वकीलों से संपर्क कर रहे हैं और उनसे सूचना के कानून के उल्लंघन पर लगने वाले जुर्माने की काट ढूंढ रहे हैं लेकिन कोई राहत मिलती हुई नजर नहीं आ रही क्योंकि जिन लोगों ने सूचना के अधिकार कानून का उल्लंघन किया है वह जुर्माने की कार्यवाही से बच जाएं यह कहना बहुत ही मुश्किल है।

सबसे बड़ी बात यह है की यदि एक व्यक्ति को जुर्माने से बचा दिया जाता है तो अन्य लोक प्राधिकारी भी कहेंगे कि उनको फिर क्यों जुर्माना लगाया गया? ऐसे में कानून सबके लिए समान है इसलिए जुर्माना भी समरूपता के आधार पर ही लगे बेहतर होगा।

एक अपीलकर्ता और पीआईओ के बीच फिक्सिंग का भी आ चुका है एक मामला

अभी हॉल ही में एक अन्य मामले को लेकर सतना के अपीलकर्ता एवं लोक सूचना अधिकारी के बीच हुए समझौते फिक्सिंग के तहत लोक सूचना अधिकारी के द्वारा उस अपीलकर्ता से स्टांप पेपर में लिखवा लिया गया था कि उन्हें जानकारी मिल गई है और लोक सूचना अधिकारी से उन्हें अब कोई शिकायत नहीं है लेकिन जब आयोग को यह बात पता चली तो आयोग ने ऐसे लोक प्राधिकारी एवं लोक सूचना अधिकारी के ऊपर जुर्माने की कार्यवाही की और साथ में उस अपीलकर्ता को भी सचेत किया कि भविष्य में उसके द्वारा यदि कोई अपील अथवा शिकायत आयोग में की जाती है तो वह मात्र हलफनामे में ही आनी चाहिए तभी यह स्वीकार की जाएगी। इस प्रकार अपीलकर्ता और लोक प्राधिकारी के साथ सांठगांठ कर मामले को रफा-दफा करने वालों के ऊपर भी अब कार्यवाही का दौर प्रारंभ हो गया है जिससे निश्चित तौर पर ऐसे अपीलकर्ता और लोक प्राधिकारी भविष्य में मैच फिक्सिंग करने जैसी हिमाकत नहीं करेंगे।

डिप्टी कमिश्नर रीवा के पी पांडे को 25 हज़ार रुपये जुर्माने का कारण बताओ नोटिस जारी

अभी हाल ही में बहुचर्चित मध्य प्रदेश की 1148 पंचायतों में लगभग 300 करोड़ के कराधान घोटाले को लेकर रीवा जिला के संदर्भ में गंगेव ब्लॉक की 38 पंचायतों को लेकर एक्टिविस्ट सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा एक जांच के प्रतिवेदन एवं संलग्न दस्तावेज को लेकर आरटीआई आवेदन नवंबर-दिसंबर वर्ष 2019 में कार्यालय कमिश्नर रीवा संभाग में लगाया गया था जिसके बाद मामले पर जांच होना बताया जाकर लोक सूचना अधिकारी के द्वारा जानकारी नहीं दी गई थी। उसके बाद अपीलकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा प्रथम अपील दायर की गई जिस पर उन्हें 63 पेज की प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध करवाई गई जबकि शेष 518 पन्नों की जानकारी न तो लोक सूचना अधिकारी के द्वारा दी गई और न ही प्रथम अपीलीय अधिकारी के द्वारा। प्रथम अपील के दौरान प्रथम अपीलीय अधिकारी एवं कमिश्नर रीवा संभाग के द्वारा आदेश पारित किया गया था कि आवेदक की अपील को आंशिक तौर पर स्वीकार करते हुए चाही गई समस्त जानकारी और संलग्न दस्तावेज आवेदक को उपलब्ध कराए जाएं लेकिन इसके बावजूद भी डिप्टी कमिश्नर और पूर्व में मनगवां तहसील में एसडीएम रहे केपी पांडे के द्वारा आवेदक शिवानंद द्विवेदी को वांछित 518 संलग्न पन्नो की प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गई जिसको लेकर के अपीलकर्ता के द्वारा मार्च महीने 2020 में मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग में द्वितीय एवं अंतिम अपील प्रस्तुत की गई जिसकी सुनवाई करते हुए अभी हाल ही में 28 अक्टूबर 2020 को मामले की पेशी नियत की गई है। 28 अक्टूबर की सुनवाई में अपीलकर्ता शिवानंद द्विवेदी एवं डिप्टी कमिश्नर और लोक सूचना अधिकारी के पी पांडे को पत्र भेजा गया है जिसमें डिप्टी कमिश्नर केपी पांडे को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है जिसमें 25 हज़ार रुपये जुर्माना लगाए जाने की बात सामने आई है।

अब देखना यह है कि फेसबुक लाइव के मध्यम से 28 अक्टूबर 2020 को होने वाली सुनवाई में आयोग मामले पर क्या कार्यवाही करता है? निश्चित तौर पर सभी का ध्यान इस हाईप्रोफाइल मामले पर टिका है क्योंकि जहां सूचना आयोग के लिए पारदर्शिता का सिद्धांत सर्वोपरि है वहीं लोक प्राधिकारियों द्वारा मध्य प्रदेश की 1148 पंचायतों में 300 करोड़ के घोटाले जानकारी छुपाया जाना कहां तक उचित होगा? सवाल है डिप्टी कमिश्नर के पी पांडे को 25 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाता है अथवा जुर्माने के बाद अन्य विभागीय कार्यवाही के लिए भी निर्देशित किया जाएगा?

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