थांदला कोरोना से मुक्त है पर कालाबाजारी से मुक्त नही है, प्रशासन मोंन क्यो?व्यवस्था पर लगा प्रश्न चिन्ह, थांंदला से माणकलाल जैन के साथ मनीष वाघेला की स्पेशल रिर्पोट

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थांदला – आखिर क्या कारण है कि थांदला की पुलिस व प्रशासन दोनो निर्धारित समय के बाद नगर की गलियों में सब्जी बेचने वाले छोटे गरीब व्यवसायियों को तो कानून नियम का हवाला देकर धंधा बन्द करवा रहा है परन्तु बड़े मुनाफाखोर व्यापारी जो अनुमति की आड़ में दिन भर पर्दे के पीछे प्रतिदिन हजारों का व्यवसाय ही नही कर रहे है अपितु मुनाफाखोरी, कालाबाजारी कर उचे दामो पर सामग्री का विक्रय छोटे दुकानदारों से लेकर आम नागरिकों के साथ कर अपनी तिजोरियां भर रहे है, यही नही ऐसे बड़े व्यापारी बेसमय अल सुबह से देर रात तक ऐसी सामग्री भी मोटा मुनाफा लेकर दे रहे है जो लॉक डाउन में प्रतिबंधित है पर ऐसे व्यापारियों पर पुलिस, प्रशासन, खाद्य विभाग के जिम्मेदार अमले की निगाह आखिर क्यों नही जा रही है ? उन्हें कानून के नियमो का पाठ क्यो नही पढ़ाया जा रहा है ? आखिर उनके उनके विरुद्ध कार्यवाही करने में प्रशासन मोन क्यो है ?
अनेक व्यापरियो के घर दुकान एक होने से वे भी बड़े पैमाने पर अनुमति के समय का दुरुपयोग कर 24 घण्टे मुनाफाखोरी कर बड़े पैमाने पर व्यवसाय में लिप्त है तो अनेक व्यापारी जिनके घर दुकान अलग है वे अपनी दुकानों की शटर बन्द कर अंदर बैठकर भी मोबाइल के माध्यम से आर्डर लेकर माल पैक कर क्रेताओं को बुलवाकर समय बेसमय डिलेवरी प्रदान कर मुनाफाखोरी कर रहे है ।

भाव आसमान पर क्यो ?

शासन प्रशासन ने केवल आवश्यक खाद्य सामग्री की बिक्री करने हेतु एक निर्धारित समय नियत कर व्यापारियों को अनुमति प्रदान की है उसमें भी यह स्प्ष्ट किया है कि वे निर्धारित मूल्यों पर ही आमजन को सामग्री उपलब्ध कराएंगे । परन्तु थोक व्यापारी आवश्यक खाद्य सामग्री के अलावा प्रतिबंधित सामग्री जैसे बीड़ी, सिगरेट, तम्बाखू पाउच आदि भी छोटे व्यापारियों को मोटा मुनाफा लेकर इस तर्क के साथ बेच रहे है कि यह प्रतिबंधित वस्तु उचे भाव पर खरीदना पड़ रही है, ट्रांसपोर्ट व पुलिस चौकियों की निगरानी से बचाकर या पैसे देकर लाना पड़ रही है । इस तरह यह मुनाफाखोर व्यापारी शासन-प्रशासन व ईमानदारी से भूखे प्यासे रहकर ड्यूटी निभा रहे पुलिस जवानों को भी अपने मुनाफे के लिए बदनाम कर रहे है ।

ऐसा मोटा मुनाफा ले रहे है

34-35 की शक्कर 50 से 60 रुपये किलो, सोया तेल 90 के बजाय 100-110 से लगाकर 120 तक, 85 से 90 तक कि तुअर दाल को 100 व 110 तक, 360 का बीड़ी का पुडा 430 में, विमल पाउच पैकेट 125 के स्थान पर 210 से 220 तक बेच रहे है जिससे छोटे व्यापारी अपना मुनाफा चढ़ाकर ओर उचे दामो पर जनता को दे रहे है ।

  तोल व मोल दोनो में लूट

थांदला के दशहरा मैदान से लेकर पिपली चौराहा, कुम्हारवाड़ा, गांधी चौक सहित नगर के हर गली कोने के बड़े व्यापारी छोटे व्यापारियों से मुनाफाखोरी कर रहे है तो छोटे व्यापारी आमजन को महंगे भावों में सामग्री प्रदान कर रहे है । ओर जनता विशेषकर गरीब, मजदूर, मध्यम वर्ग लुटता जा रहा है । गरीबो की मजबूरी है कि दुकानदार जिस भाव दे खरीदकर अपने परिवार का पेट पालने को मजबूर हो रहा है । नगर के पिपली चौराहे के आसपास किराने के व्यापारी, शांतिनगर सुलभ शौचालय के पास गांधी चौक में ऐसे दुकानदार है जो तम्बाखू उत्पादनों का स्टॉक रखे हुए है व बड़ी मात्रा में अवसर का लाभ उठाकर बेधड़क बेच रहे है । दशहरा मैदान के सामने भी घर दुकान शामिल दुकानदार के यहां आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के लोगो की भीड़ रहती है जो तोल व मोल दोनो तरह से गरीबो का शोषण कर रहे है ।

3 मई तक ओर चलेगी यह लूट

लॉक डाउन की अवधि 3 मई तक बढ़ चुकी है और बड़े थोक व्यापारी खुश नजर आ रहे है क्योंकि थांदला प्रशासन न केवल अनदेखी कर रहा है अपितु एक तरह से व्यवस्था बनाये रखने के लिए उन्हें परमिशन देकर चैन से बैठा है । बड़े व्यापारियों को थोक सामग्री बाहर से मंगवाने के लिए शासन द्वारा ट्रांसपॉर्ट की छूट मिलने से उनकी सामग्री हर एक दिन छोड़कर आ रही है और वह मुनाफाखोरी में अपनी तिजोरियां भर रहे है । शासन प्रशासन जनता को आवश्यक खाद्य सामग्री की पूर्ति हो रही है इससे ही संतुष्ट है । जिले के अन्य स्थानों पर प्रशासन व खाद्य विभाग सक्रिय होकर भावों पर नियंत्रण रख रहा है, मुनाफाखोरो पर कार्यवाही कर रहा है यहां तक कि दुकान शील करने तक की कार्यवाही हो रही है परन्तु थांदला में ऐसा कुछ भी नही होने से व्यापारियों को लूट की खुली छूट प्रतीत हो रही है ।

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