पटेरा जनपद की ग्राम पंचायत पडरीसहजपुर का मामला जहां सरकार लाख प्रयत्न करती है की मजदूरों को उनका हक और दो टाइम की रोटी मुहैया कराई जाए इसी को ध्यान में रखते हुए रोजगार गारंटी यानी मनरेगा योजना जो की सरकार ने लागू की है मजदूरों के लिए उन प्रवासी मजदूरों के लिए जो दो वक्त की रोटी दो वक्त का खाना कमा सकें इसकी राशि भी सरकार देती है लेकिन अधिकारी कर्मचारी सरकार के मंसूबों पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं बात कर रहे पटेरा में रोजगार गारंटी के तहत होने वाले सभी कार्य मशीनों से किए जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ मजदूर मजदूरी के लिए यहां-वहां भटकने को मजबूर है उनके सामने दो वक्त की रोटी का संकट है सभी कार्य में मिलीभगत के चलते प्रवासी मजदूरों से रोजगार छीना जा रहा है ग्राम पंचायत की इस योजना में फर्जीवाड़ा होना आम बात हो गई है फिर चाहे प्रशासन की हितग्राही योजना हो या अन्य कार्य सभी कार्य में सचिव ,रोजगार सहायक की दबंगई के चलते फर्जीवाड़ा करने में कतई परहेज नहीं किया जाता निर्माण एजेंसी सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक मशीनों से काम कराकर फर्जी मस्टररोल बनाकर राशि निकाल रहे हैं ऐसा भी नहीं कि इसकी जानकारी अधिकारियों को ना हो लेकिन कमीशन खोरी के चलते सब मौन है जिसकी शिकायत अधिकारियों से की जाती है लेकिन आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं की गई जिससे सरपंच, सचिव ,रोजगार सहायक तानाशाही पूर्ण अड़ियल रवैया के चलते मनरेगा के सभी कार्य दबंगता पूर्वक दिनदहाड़े मशीनों से कार्य करवा रहे हैं
ऐसा ही मामला पटेरा जनपद के पडरीसहजपुर से सामने आया है ग्राम पंचायत पडरीसहजपुर में मनरेगा योजना से परकोलेशन टेक निर्माण कार्य किया जा रहा है जिसमें मनरेगा जॉब कार्ड धारियों को काम ना देकर मशीनों से करवाया जा रहा है पंचायत पडरीसहजपुर में लाखों की लागत से परकोलेशन टेंक निर्माण कार्य किया जा रहा है जिसमें मजदूरों को काम नहीं दिया गया और मशीनों से करवाया जा रहा है
सारा काम मशीन से करा कर मजदूरों के नाम पर राशि का आहरण कर रहे है । सचिव, रोजगार सहायक द्वारा मजदूरों का हक मारकर अपनी जेब भरने ने लगे हुए है जिसमे नीचे से ऊपर तक सभी का कमीशन रहने के कारण कोई आपत्ति नहीं उठाते है नाही कोई कार्यवाही की जाती बता दे की निर्माण कार्यों का मूल्यांकन उपयंत्री करते है लेकिन वह भी कोई आपत्ति नहीं उठाते ।
*मजदूर बोले हमे नहीं मिलता काम,हमारे नाम से राशि निकाल ली जाती है*
ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों ने बताया कि गांव में तालाब निर्माण, डैम निर्माण, मेड बंधान, नल नीर कूप जैसे अनेक कार्य मशीनों द्वारा करा लिए जाते है और मजदूरों की फर्जी जॉब कार्ड बनाकर राशि निकाल लेते हैं हम कई बार शिकायत कर चुके हैं लेकिन कोई ध्यान नहीं देता जिस कारण से हम लोगों को मजबूरन अन्य राज्यो में मजदूरी करने के लिए जाना पड़ता है सरकार द्वारा मनरेगा योजना में ग्रामीणों को दो वक्त की रोटी मिले इसके लिए योजना चलाई जा रही है लेकिन यहां सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक एवं अधिकारियों की मिलीभगत के चलते मशीनों को कार्य दिया जाता है ।
*जिम्मेदारों पर आरोप के साथ कई सवाल खड़े हो रहे है*
सरकार द्वारा मनरेगा कार्यों में लगातार हो रहे भ्रष्टाचार मैं प्रशासनिक अधिकारी से लेकर सरकार के जनप्रतिनिधि तक जांच नहीं करा पाते क्योंकि कोई जांच करने को तैयार ही नहीं है क्यों कार्यवाही नहीं होती ऐसे मामलों में सरकार जब योजनाएं लाती है गरीबों के लिए मजदूरों के लिए दो जून की रोटी उन्हें मिल सके ऐसे अधिकारी उन योजनाओं पर पलीता लगाने से बाज नहीं आते और जब कार्यवाही की बात होती है तो प्रशासनिक अधिकारी भी कार्यवाही नहीं करते देखने को मिलता है,मजदूरों की जगह मशीनों से कार्य कराकर मजदूरों के नाम के मास्टर डालकर राशि निकाल ली जाती है ऐसे कई मामले है जिन पर शिकायत के बाद भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई बल्कि उन्हें बचाने का प्रयास जिम्मेदारों द्वारा किया जाता है जिम्मेदार अधिकारियों पर कई सवाल खड़े हो रहे है की मनरेगा कार्यों की जांच क्यों नहीं की जाती अधिकरी कुछ बोलने को तैयार नहीं इससे साफ जाहिर होता है इस योजना में भ्रष्टाचार की बू आ रही है जिस योजना में मजदूरों से काम कराना चाहिए उसमें आप मशीनों से कार्य करा रहे हैं मजदूरों के नाम से फर्जी मस्टररोल भरकर आप राशि आहरण कर ले रहे हैं आपको जरा भी शर्म नहीं आ रही है सरकार लाख कोशिश करती है कि मजदूरों को उनका हक मिले ऐसे मामले पिछले साल से चले आ रहे है इसमें जनप्रतिनिधि की भी जिम्मेदारी बनती है क्योंकि सरकार की योजना है यह अधिकारी राशि का बंदरबांट कर रहे हैं साफ तौर पर प्रशासनिक अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं कर रहा पिछले साल भी ऐसा ही मामला सामने आया था लेकिन अभी तक कोई जांच नहीं हो पाई है सरकार योजनाएं लेकर आती है कि अधिकारियों को लाभ मिले अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है मजदूरों को मजदूरी का पैसा नहीं मिला वो अपना जीवन यापन कैसे कर रहे होंगे। देखते है कब तक जांच की जाती है क्योंकि कुछ मामले तो जांच में ही अटक कर रह जाते हैं।