प्राइवेट ऑपरेटर के हाथ शासकीय दस्तावेज,उप पंजीयक कार्यालय देवसर का मामला,उप पंजीयक के रहमो करम पर चल रही मनमानी,कुंडेश्वर टाइम्स ब्यूरो अनुराग द्विवेदी की रिपोर्ट

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देवसर(kundeshwartimes)- सिंगरौली जिले के उप पंजीयक कार्यालय देवसर में सभी शासकीय दस्तावेज प्राइवेट ऑपरेटर अजय मिश्रा के जिम्मे रहते हैं, प्राइवेट ऑपरेटर के हाथ में शासकीय दस्तावेज होने की बात निश्चित रूप से आश्चर्यजनक लग रही होगी लेकिन यह सही है पिछले करीब एक दशक से दफ्तर के सभी अत्यंत संवेदनशील एवं जोखिम भरे कार्य प्राइवेट ऑपरेटर के भरोसे हो रहे हैं, उप पंजीयक कार्यालय में मनमानी का सिलसिला यहीं से समाप्त नहीं होता यहां एक से एक मनमानी पूर्ण कार्य आपको नजर आ जाएंगे, बता दें कि उप पंजीयक की अनुपस्थिति में भी इस दफ्तर में जमीन की रजिस्ट्री हो जाती है इसका वीडियो भी वायरल हुआ है वीडियो में स्पष्ट नजर आ रहा है उप पंजीयक की कुर्सी खाली है, और प्राइवेट कर्मचारी जिसकी ना ही नियुक्ति हुई है और ना ही शासकीय मद से मानदेय मिल रहा है, ऐसे प्राइवेट कर्मचारी द्वारा जमीन की रजिस्ट्री का कार्य किया जा रहा है, मामला सामने आने के बाद अभी तक जिस तरह से जिम्मेदारों ने चुप्पी साध रखी है ऐसे में अपने आप साबित होता है कि निश्चित रूप से विभागीय जिम्मेदारों की मिलीभगत से इस तरह की मनमानी हो रही है

शासकीय दस्तावेज भी रहते हैं प्राइवेट कर्मचारी के जिम्मे

उप पंजीयक कार्यालय देवसर में पिछले एक दशक से जमे प्राइवेट कर्मचारी अजय मिश्रा का दफ्तर में दायरा इस कदर बढ़ा है कि शासकीय दस्तावेजों तक भी प्राइवेट कर्मचारी के हाथ पहुंच चुके हैं बताते हैं कि समस्त शासकीय दस्तावेज प्राइवेट कर्मचारी अजय मिश्रा के भरोसे रहते हैं

फिर कहां से मिलता है प्राइवेट कर्मचारी का मानदेय ?

जिस तरह से उप पंजीयक कार्यालय देवसर में प्राइवेट कर्मचारी पिछले एक दशक से कार्यरत है और आज तक नियुक्ति नहीं हुई है तथा शासकीय मदद से कोई मानदेय नहीं मिल रहा है ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि ऐसे कर्मचारी का मानदेय कहां से मिलता होगा हालांकि इस संबंध में उप पंजीयक गंगाराम पांडे बताते हैं कि वह अपनी स्वयं की तनख्वाह से प्राइवेट कर्मचारी को मानदेय देते हैं लेकिन इनकी बातों में सच्चाई है या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है, हकीकत यह हो सकती है कि जमीन की रजिस्ट्री कराने वाले क्रेता विक्रेता से चढ़ोत्री कराई जाती है, फिलहाल जिस तरह से यह मामला विभागीय जिम्मेदारों की संज्ञान में पहुंचने के बाद भी कार्रवाई करने में विलंब किया जा रहा है ऐसे में अपने आप यह साबित होता है कि इन जिम्मेदारों की मिलीभगत से काश्तकारों को लूटा जा रहा है।

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