रीवा एयरपोर्ट फर्जीवाड़ा मामला,ईओडब्ल्यू ने लिया संज्ञान, खंगालने शुरू कर दिए रिकार्ड

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रीवा(kundeshwartimes)-  चोरहटा हवाई पट्टी विस्तार में फंस रही जमीनों के भूमि अधिग्रहण में करोड़ों के फर्जीवाड़े की आशंका है। पटवारी व राजस्व अधिकारियों ने रोक के बाद भी जमीनों के बटनवारा और डायवर्सन किया। भूमाफिया को जमीन जद में लाने एयरपोर्ट को ही खिसका दिया। कलेक्टर ने भले ही मामले में संज्ञान नहीं लिया लेकिन ईओडब्ल्यू हरकत में आया है। रिकार्ड खंगालने शुरू कर दिए हैं।
ज्ञात हो कि रीवा में चोरहटा हवाई पट्टी का विस्तार किया जा रहा है। अंतरराज्यीय हवाई अड्डे के रूप में इसका निर्माण किया जाएगा। भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण ने इसके विस्तार को लेकर काम भी शुरू कर दिया है। वहीं विस्तार के लिए किसानों की जमीनों के भूअधिग्रहण की भी तैयारी की गई है। योजना में फंस रही भूमियों की लिस्टिंग का काम पूरा कर लिया गया है। अब सिर्फ मुआवजा वितरण का काम शेष है। इस मुआवजा वितरण में ही बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया है। तत्कालीन कलेक्टर ने वर्ष 2016 में ही डायवर्सन, नामांतरण और बटनवारा में रोक लगाई थी। इसके बाद भी कमीशन लेकन पटवारी ने जमकर बंटरबांट किया। लाखों का मुआवजा करोड़ों में पहुंचा दिया गया है। एकड़ की भूमि के इतने हिस्से कर दिए कि वर्गफीट में जमीन फंस रही है। एक ही परिवार के कई सदस्यों के नाम जमीनें कर छोटे छोटे टुकड़े कर दिए गए हैं। इस फर्जीवाड़ा से मुआवजा वितरण करीब 40 करोड़ रुपए अतिरिक्त भुगतान की आशंका जताई जा रही है। इस मामले में रीवा कलेक्टर ने चुप्पी साधी हुई है। इसके पीछे वजह प्रशासनिक अधिकारियों की संलिप्तता मानी जा रही है।  राजनैतिक रसूख रखने वालों की भी जमीनें इसमें फंस रही है। उन्हें भी फायदा पहुंचाने की तैयारी है। यही वजह है कि अधिकारियों ने चुप्पी साधी हुई है। इस मामले में हालांकि ईओडब्ल्यू एक्टिव हुआ है। फर्जीवाड़े की जांच शुरू कर दी है। रिकार्ड तलाशे जा रहे हैं।

इस तरह से किया गया फर्जीवाड़ा

रीवा के दो बड़े कालोनाइजरों ने सालों पहले चोरहटा में 10 एकड़ भूमि पार्टनरशिप में ली थी। यहां कालोनी बसाने की तैयारी थी। चोरहटा हवाई पट्टी के दक्षिण में इनकी जमीन थी। चोरहटा हवाई पट्टी का प्रोजेक्ट तैयार हुआ तो इनकी भूमि फंस ही नहीं रही थी।वहां तक विस्तार ही नहीं किया जा रहा था। बाद में इन दोनों भूमाफियाओं ने ऐसा खेल खेला कि करीब उत्तर और दक्षिण की तरफ चोरहटा हवाई पट्टी को 115 और 115 मीटर तक खिसका दिया गया। इसका दायरा बढ़ते ही बंजर भूमि करोड़ों रुपए कीमती हो गई। अब सारी भूमि विस्तार में फंस रही है।

जमीन का करा दिए बटनवारा

सरकार को चपत लगाने में सबसे बड़ा खेल हुजूर राजस्व अधिकारी और कर्मचारियों ने किया। इसमें तहसीलदार हुजूर और तत्कालीन पटवारी चोरहटा, चोरहटी की भूमिका संदिग्ध है। शासन ने एकड़ के लिए करीब 80 लाख रुपए ही मुआवजा का निर्धारण किया था। वहीं वर्गफीट में भूमि का मुआवजा अधिक रखा गया था। यही वजह है कि पटवारियों ने कमीशन में जमीन लेकर भूस्वामियों की जमीन को टुकड़ों में कर डाला। रोक के बाद भी बंटनवारा और डायवर्सन का खेल जारी रहा। 1 एकड़ भूमि को परिवार के अलग अलग सदस्यों के नाम बंटवारा कर दिया गया। इससे रकबा 10 डिसमिल से कम होने पर मुआवजा वर्गफीट में बन रहा है।

एसडीएम ने आपत्ति जतााई थी फिर शांत हो गए

चोरहटा हवाई अड्डे के विस्तार में फंस रहे चार गांव की जमीन में बटनवारा, डायवर्सन और नामांतरण में खेल काफी दिनों से जारी है। इसकी भनक एसडीएम हुजूर को भी लगी थी। आपत्ति भी दर्ज की थी। तत्कालीन पटवारी को नोटिस भी जारी करने की तैयारी थी लेकिन बाद में इसमें लीपापोती कर दी गई। किसी तरक की आपत्ति नहीं लगाई गई। मुआवजा वितरण को लेकर लिस्ट भी तैयार कर ली गई है।

एक जमीन के 24 टुकड़े कर दिए

चोरहटा हवाई पट्टी के विस्तार में नर्मदा चतुर्वेदी की भी जमीन फंसी है। करीब एक एकड़ भूमि आ रही थी। तत्कालीन पटवारी से मिलकर पहले इसके चार हिस्से कराए गए। सभी पुत्रों के नाम पर जमीन की गई। इसके बाद इन चारों हिस्सों को 24 बटांक करा दिए गए। जमीनें छोटे छोटे हिस्से में बेंच दी गई। अब एक ही रकबा के 24 बटांक है। पहले जो मुआवजा सिर्फ एक एकड़ का मिलना था। अब वही डायवर्टेड प्लाट का देना पड़ेगा। यह राशि 5 से 6 करोड़ तक पहुंचेगी।
 
इनके कर दिए गए हिस्सा, बांट

ग्राम चोरहटी में खसरा नंबर 152 का रकबा सिर्फ 0.215 और हिस्सेदार 7, रकबा नंबर 151 का रकबा सिर्फ 0.010 और हिस्सेदार 3, खसरा नंबर 167 के 10 बटांक, खसरा नंबर 173 के  17 बटांक, खसरा नंबर 166 के 13 बटांक, पतेरी 9.22 हेक्टेयर 44 हिस्सेदार, खसरा नंबर 153 के 7 बटांक किए गए।  चोरहटा में खसरा नंबर 546 के तीन बटांक, 540 के तीन, खसरा नंबर 538 के तीन, 656 के 7 बटांक, खसरा नंबर 669 के 9 बटांक, खसरा नंबर 542 के 7 बटांक, खसरा नंबर 545 के 7 बटांक, खसरा नंबर 1212 के 8 बटांक, खसरा नंबर 551 के 8 बटांक किए गए हैं। इसी तरह खसरा नंबर 650 का रकबा सिर्फ 0.246 है और हिस्सेदार 7 बना दिए गए हैं। खसरा नंबर 644 के 15 बटांक कर छोटे छोटे रकबा में बांट दिया गया है। खसरा नंबर 645 में 11 बटांक, खसरा नंबर 649 के 16 बटांक, खसरा नंबर 627 के 5 और खसरा नंबर 619 के 11 बटांक किए गए हैं।

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