प्रधानमंत्री ने मन की बात में रोजगार के अवसरों पर सृजनात्मक विकास की चर्चा की,पर्व और प्रर्यावरण का गहरा संबंध-पीएम नरेंद्र मोदी

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नई दिल्ली (कुंडेश्वर टाइम्स) – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम को संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने कोरोना संकट के दौरान सावधानी बरतने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि कोरोना से बचने के लिए मास्क और दो गज की दूरी जरूरी है. पीएम मोदी ने बच्चों के खिलौनों पर भी बात की. उन्होंने लोकल खिलौनों के लिए वोकल बनने का आह्वान किया. आइए जानें पीएम मोदी ने मन की बात की अहम बातें.

-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे पर्व और पर्यावरण के बीच बहुत गहरा नाता रहा है. आम तौर पर ये समय उत्सव का है. जगह-जगह मेले लगते हैं, धार्मिक पूजा-पाठ होते हैं. कोरोना के इस संकट काल में लोगों में उमंग और उत्साह तो है ही, मन को छू लेने वाला अनुशासन भी है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, लोग अपना ध्यान रखते हुए, दूसरों का ध्यान रखते हुए, अपने रोजमर्रा के काम भी कर रहे हैं. देश में हो रहे हर आयोजन में जिस तरह का संयम और सादगी इस बार देखी जा रही है, वो अभूतपूर्व है. गणेशोत्सव भी कहीं ऑनलाइन मनाया जा रहा है, तो ज्यादातर जगहों पर इस बार इकोफ्रेंडली गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है.

-मन की बात कार्यक्रम में पीएम ने थारू आदिवासी समाज की बरना नामक परंपरा की सराहना की. प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार के पश्चिमी चंपारण में सदियों से थारू आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन, उनके शब्दों में 60 घंटे के बरना का पालन करते हैं. प्रकृति की रक्षा के लिए बरना को थारू समाज के लोगों ने अपनी परंपरा का हिस्सा बना लिया है और ये सदियों से है. इस दौरान न कोई गांव में आता है, न ही कोई अपने घरों से निकलता है और लोग मानते हैं कि अगर वो बाहर निकले या कोई बाहर आया, तो उनके आने-जाने से, लोगों की रोजमर्रा की गतिविधियों से नए पेड़-पौधों को नुकसान हो सकता है. पीएम ने कहा, बरना की शुरूआत में भव्य तरीके से हमारे आदिवासी भाई-बहन पूजापाठ करते हैं और उसकी समाप्ति पर आदिवासी परंपरा के गीत, संगीत, नृत्य के कार्यक्रम भी होते हैं.

-प्रधानमंत्री ने रविवार को खिलौनों को लेकर भी अपनी बात कही. उन्होंने कहा, मैं मन की बात सुन रहे बच्चों के माता-पिता से क्षमा मांगता हूं क्योंकि हो सकता है, उन्हें अब ये मन की बात कार्यक्रम सुनने के बाद खिलौनों की नई-नई मांग सुनने को मिले. खिलौने जहां एक्टिविटी को बढ़ाने वाले होते हैं तो वहीं खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं. खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ते भी हैं.

-प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है. कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं. भारत के कुछ क्षेत्र टॉय क्लस्टर यानी खिलौनों के केंद्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि वैश्विक टॉय इंडस्ट्री 7 लाख करोड़ से भी अधिक की है. कारोबार इतना बड़ा है, लेकिन भारत का हिस्सा उसमें बहुत कम है. जिस राष्ट्र के पास इतनी बड़ी विरासत हो, परंपरा हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी चाहिए. लोकल खिलौनों के लिए हमें वोकल बनना होगा.

-पीएम मोदी ने कहा कि हम जब अपनी जीवन की सफलताओं को देखते हैं तो हमें किसी ने किसी शिक्षक की याद अवश्य आती है. कोरोना काल में हमारे शिक्षकों के सामने भी समय के साथ बदलाव की एक चुनौती लगती है. हमारे शिक्षकों ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया, बल्कि उसे अवसर में बदल भी दिया है. पढ़ाई में तकनीक का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कैसे हो, नए तरीकों को कैसे अपनाएं, छात्रों को मदद कैसे करें यह हमारे शिक्षकों ने सहजता से अपनाया है और अपने छात्रों को सिखाया भी है.

-पीएम ने कहा कि वर्ष 2022 में हमारा देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा. स्वतंत्रता के पहले अनेक वर्षों तक देश में आजादी का जन्म उसका एक लंबा इतिहास रहा है. यह बहुत आवश्यक है कि हमारी आज की पीढ़ी आजादी की जंग और हमारे देश के नायकों से परिचित रहे, उसे उतना ही महसूस करे. अपने जिले और क्षेत्र में आजादी के आंदोलन के समय क्या हुआ, कौन शहीद हुआ, कौन कितने समय तक जेल में रहा. यह बातें हमारे विद्यार्थी जानेंगे तो उनके व्यक्तित्व में भी इसका प्रभाव दिखेगा. इसके लिए बहुत से काम किए जा सकते हैं, जिसमें हमारे शिक्षकों का बड़ा दायित्व है.

-जो देश के लिए खप गए, ऐसे महान व्यक्तित्वों को अगर हम सामने लाएंगे तो उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी. जब हम 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मना रहे होंगे, तब मैं मेरे शिक्षक साथियों से जरूर आग्रह करूंगा कि वे इसके लिए एक माहौल बनाएं सब को जोड़ें और सब मिल करके जुट जाएं ।

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