नन्ही 14 वर्षीय कु.भवी जितेंद्रजी चौरड़िया ने की 9 उपवास की तपस्या संघ ने किया बहुमान,थांदला से मनीष वाघेला की रिपोर्ट

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थांदला। जिन शासन में तपस्या का महत्व कर्म निर्जरा के रूप में प्रसिद्ध है। अनेक भव्य आत्मा तपश्चर्या से अपने पूर्व कर्मो की निर्जरा तो करते ही है जिन शासन को दीपाते भी है व कुल गौरव भी बढाते है। कुल के संस्कार बच्चों में भी आते है और वह भी अपने आप को संस्करों की तुला में तोलते है व धर्म का अनुसरण करते है। नगर के सेवानिवृत्त शिक्षक ज्योतिष समरथमल चौरड़िया की पौती व व्यापारी जितेंद्र चौरड़िया की 14 वर्षीय बालिका भवी चौरड़िया द्वारा अपने जीवन की पहली 9 उपवास की दीर्घ तपस्या पूज्य प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी के आशीर्वाद व कृपा से पूर्ण हुई। नो दिन तक केवल दिन के उजाले में गर्म जल पर आश्रित होकर उन्होंने यह कठिनतम तप पूर्ण किया है। उनकी इस तपस्या पूर्णाहुति पर श्रीसंघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत, मंत्री प्रदीप गादिया ने सकल संघ कि ओर से उनके दीर्घ तप की खूब खूब अनुमोदना की है व बाल तपस्वी की सुखसाता पूछते हुए दीर्घ यशस्वी जीवन की शुभकामना की है। आपको बता दे जैन पत्रकार संगठन आल इण्डिया जैन जर्नलिस्ट एसोसिएशन (आईजा) सभी 8 से ऊपर की तपस्या करने वाले सभी तपस्वियों को सम्मानपत्र देकर सम्मानीत करेगा वही विशेष रूप से बाल तपस्वियों का भी सम्मान करेगा।

 

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