होटलों में जूठन धोने पर मजबूर जिले के नौनिहाल,सो रहा श्रम विभाग, सिंगरौली से कुंडेश्वर टाइम्स ब्यूरो अनुराग द्विवेदी की रिपोर्ट

नौनिहालों के लिए लागू सरकार की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन पर खड़ा हो रहा सवालिया निशान

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सिंगरौली(kundeshwartimes)- कहा जाता है कि बच्चे देश के भविष्य होते हैं जो जिस देश के बच्चे पढ़ने लिखने की उम्र में होटलों में जूठन धो रहे हो तो उस देश के भविष्य का क्या हाल होगा अपने आप अंदाजा लगाया जा सकता है, बात कर रहे हैं सिंगरौली जिले की जहां हजारों नौनिहाल आज भी होटलों में जूठन धो कर अपना पेट पाल रहे हैं ऐसे नौनिहाल अपना वर्तमान सवारने में जरूर लगे हुए हैं परंतु इनके भविष्य के साथ किस तरह खिलवाड़ हो रहा है इस बात से यह नौनिहाल वाकिफ नहीं रहते स्वाभाविक भी है बच्चों को भला भविष्य की क्या चिंता अब जवाबदारी बनती है इनके माता-पिता की तो इनके मां बाप भी गरीबी की दलदल में इस कदर फंसे रहते हैं कि बच्चों का पेट पालना मुश्किल हो जाता है इसी विसंगति में फंस कर बच्चे या तो होटलों में जूठन धोने लगते हैं या फिर किसी साहब के बगले में झाड़ू पोछा करने लगते हैं तो बच्चों के इस तरह के फैसले में उनका भविष्य भविष्य सिर्फ गर्त में जा रहा है तो फिर बच्चों का भविष्य देश का भविष्य कैसे हो सकता है ऐसे में यदि यूं कहे कि देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी परंतु कड़वा सच जरूर है इन्हीं सब समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने नौनिहालों के लिए योजनाओं तथा कानूनों का अंबार लगा दिया है परंतु सिंगरौली जिले में सभी योजनाएं तथा बाल श्रम कानून बेअसर साबित हो रहे हैं

इन होटलों में लगे हैं बाल श्रमिक

बस स्टैंड बैढन के करीब दर्जनों भोजनालय मांजन मोड़ के पास आधा दर्जन चाय नाश्ते की दुकानों में सब्जी मंडी के पास सभी होटलों में अंबेडकर चौराहा नवजीवन विहार जयंत, देवसर बरगवां तथा चितरंगी सहित जिले के सभी कस्बों में स्थित होटल चाय नाश्ते की दुकानों में करीब हजारों बाल श्रमिक लगे हुए हैं जहां इन से 24 घंटे काम लिया जाता है बदले में इन्हें सिर्फ दो वक्त का भोजन और हजार दो हजार रुपया दिया जाता है

साहब के बगलो में भी बाल श्रमिक

इन बाल श्रमिकों को जिले के कुछ अधिकारियों कर्मचारियों के घर में भी झाड़ू पोछा लगाते आसानी से देखा जा सकता है हैरत की बात तो यह है कि जिन्हें बाल श्रम कानून की रक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है वहीं इन बाल श्रमिकों से काम लेने से गुरेज नहीं करते

बाल श्रम कानून बेअसर

14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम लेना कानूनन अपराध है जानकारी के अनुसार बाल श्रम कानून अधिनियम के तहत बने कानून में यदि कोई बाल श्रमिकों से काम ले रहा हो तो उसे हजारों रुपए जुर्माना भरना पड़ेगा साथ साथ सजा का भी प्रावधान है

योजनाओं के क्रियान्वयन पर खड़े हो रहे सवाल

गरीब बच्चे शिक्षित हो इसके लिए सरकार ने मध्यान भोजन ,गणवेश छात्रवृत्ति छात्रावास ,निशुल्क शिक्षा ,पुस्तक सायकल के अलावा शिक्षा दीक्षा ग्रहण करने में लगने वाली सभी व्यवस्था मुहैया कराने का प्रावधान बनाया गया है फिर भी गरीबों के बच्चे शिक्षा जगत से कोसों दूर भागते जा रहे हैं इसकी प्रमुख वजह योजनाओं तथा कानूनों का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन न होना है

श्रम विभाग जिम्मेदारी से परे

बच्चों को शिक्षा दीक्षा ग्रहण करने के लिए जागरुक करने का काम तो कई विभागों के माध्यम से हो रहा है परंतु इन सभी विभागों के अभियान को गति ना मिले तो अंत में श्रम विभाग की जिम्मेदारी बनती है की बाल श्रम कानून की अवहेलना न हो परंतु जिले में श्रम विभाग की जिम्मेदारी भरे कार्यों का निर्वहन होता कहीं भी नजर नहीं आता जबकि बाल श्रमिक से काम लेना तथा इनका शोषण करना जिले में आम बात है परंतु आज तक किसी को ना तो जुर्माने से दंडित किया गया और न ही सजा दिलाई गई l

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