होली के दूसरे दिन भाई बहनों के प्रेम का पर्व भाई दोज गुरुवार को परंपरानुसार मनाया / कुंडेश्वर टाइम्स सह सम्पादक मोहन पटेल की रिपोर्ट

यम एवं यमुना के प्रेम का प्रतीक है भाई दूज का त्योहार भाई एवं बहनों के परस्पर संबंधों को मजबूती प्रदान करता है

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दमोह(kundeshwartimes)- भाई बहिन के प्रेम का त्यौहार भाईदोज गुरुवार के दिन को बड़े श्रद्धा भाव से मनाया गया बहिनों ने भाईयों को गुलाल व रोरी एवं अक्षत से टीका लगाया और रक्षासूत्र बांधकर अपने भाईयों की दीर्घ आयु की कामना की तो भाईयों ने भी बहिनों को उपहार दिएं भाई बहिन के निश्छल प्रेम की अनेक पौराणिक गाथाएं है भाई बहिन के पवित्र प्रेम की मिसाल है यह पर्व पवित्र श्रद्धा स्नेह का पर्व है घर के बाहर दोज रखकर बहने पूजा करती है पूजन उपरांत बहने अपने भाईयों को टीका लगाती है

बहिनें करती हैं भाईयों का निमंत्रण

भाईदूज के दिन बहिनें अपने भाईयों का निमंत्रण बड़ी श्रद्धा भाव से करती है और बिना कुछ खाए पिए जब तक बहनें भाई के माथे पर टीका अक्षत नहीं लगाती तब तक भाई के घर आने का इंतजार करती रहती है बहिनें भाई के सत्कार के लिए 56 प्रकार का भोजन बनाती है

व्यस्तता के बावजूद भी है भाईदूज के प्रति आस्था

आज के वर्तमान समय में जिस तरह से मानव जीवन व्यस्तता दौर में गुजर रहा है वहीं भाईदूज के प्रति आज भी श्रद्धा भाव है लोग व्यस्त जीवन में इस दिन किसी न किसी तरह समय निकाल ही लेते हैं दूर दूर से भाई अपनी बहिनों के घर आकर टीका लगवाते है और उन्हें भेंट स्वरूप कुछ उपहार देते हैं

बच्चों में रहता विशेष उत्साह

भाईदूज के पावन दिन पर बड़ों के अलावा बच्चों में विशेष उत्साह देखा जाता है छोटे छोटे बच्चे रंगोली बनाकर अपने भाईयों को टीका लगाते हैं और भाई भी अपनी बहनों को उपहार देते हैं

व्यापारिक प्रतिष्ठानों में हुई पूजा

माना जाता है कि व्यापारिक प्रतिष्ठान होली की दोज की सुबह तक बंद रहते हैं दोज के दिन व्यापारी एवं उनके परिवार के सदस्य दोज की पूजा कर पुन मुहूर्त में व्यापार प्रारंभ करते हैं गुरुवार की सुबह शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के तमाम प्रतिष्ठानों में दोज की पूजा की गई

यम व यमुना के प्रेम का प्रतीक है भाईदूज

भविष्योत्तर पुराण में वर्णित प्रसंग के अनुसार सूर्य पुत्र यम और पुत्री यमुना में अगाध प्रेम था यम अपने राजकाज के कार्यों में इतने व्यस्त हो गए कि बहिन यमुना को भूल गए तब यमुना ने कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन अपने भाई यम को अपने घर पर आमंत्रित किया यम ने समस्त राजकाज के कामों को छोड़कर यमुना के घर पहुंचे तो बहिन ने भाई यम का काफी स्वागत सत्कार किया घी का चौक बनाकर उस पर बिठाया और अक्षत रोरी का टीका लगाया कलाई में धागा बांधा और स्वादिष्ट भोजन कराया तब प्रसन्न होकर यम ने बहन को वरदान मांगने को कहा तब बहिन यमुना ने कहा कि मुझे ऐसा आशीर्वाद दें कि आज के दिन जो भी भाई अपनी बहिन से टीका लगवाएगा उसका हमेशा कल्याण होगा तथा उस भाई को यमदूत परेशान नहीं करेंगे तब से यह पवित्र त्यौहार श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता है।

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