*सगोनी रेन्ज की घोघरा वनबीट में कई लाख का वन रक्षक नाका बिल्डिंग चड़ाई जा रही भ्रष्टाचार की भेंट* काली डस्ट कम सीमेंट घटिया ईंट से हो रहा निर्माण कार्य / कुंडेश्वर टाइम्स समाचार संपादक मोहन पटेल की खास रिपोर्ट

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दमोह – दमोह जिले सगोनी रेन्ज के कई मामले सामने आ रहे हैं क्योंकि विकास के लिए सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च कर वन विभाग की सुविधा हेतु कई निर्माण कार्यों के लिए वनबीट में लाखों की राशि आ रही है और उसी राशि से बन रक्षक नाका का घोघरा वनबीट में निर्माण का कार्य किया जा रहा है लेकिन वनबीट की मिलीभगत से भ्र्ष्टाचार कर कार्य करवाकर घटिया सामग्री का उपयोग कर वन रक्षक नाका निर्माण कार्य किया जा रहा है। घटिया सामग्री के उपयोग से कुछ ही दिनों में बिल्डिंग निर्माण का चंद महीनों ही चल पाएगा। मामला दमोह सोनी रेन्ज के अंतर्गत वनबीट घोघरा का जहां निर्माण में काली डस्ट , कम सीमेंट जैसी घटिया ईंट से निर्माण व जमकर भ्र्ष्टाचार किया जा रहा है जहां पर वनबीट द्वारा बिल्डिंग का निर्माण कार्य किया जा रहा है । घटिया सीमेंट का उपयोग कर बिल्डिंग का निर्माण कराया जा रहा है जिससे निर्माण की कुछ ही माह में धज्जिया उड़ के निर्माण कार्य का नामोनिशान नहीं रहेगा । इस निर्माण कार्य के बारे में गांव के निवासीयों व दर्जनों ग्रामवासियों ने बताया कि निर्माण कार्य के दौरान काली डस्ट मिली रेत और घटिया ईंट व कम मात्रा में सीमेंट लगाया जा रहा वन विभाग के अड़ियल रवैया से ही घटिया सामग्री का उपयोग कर बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा जिससे कुछ ही दिनों के पश्चात ही बिल्डिंग खराब टूट कर क्षतिग्रस्त हो जायेगी। गौरतलब है कि किसी भी निर्माण कार्य को अधिकारियों द्वारा मौके स्थल पर नहीं देखा जाता है ओर वन बीट अपनी मनमर्जी से निर्माण कर करवा देते हैं अगर मौके पर अधिकारी जाए तो तभी उसकी गुडवत्ता का आंकलन होता है और वह निर्माण कार्य का मूल्यांकन करते हैं , लेकिन सगोनी रेन्ज की भी इस निर्माण कार्य में मूक सहमति मालूम होती है। क्योंकि वन बीट सम्हाल रहे हैं यही प्रतीत होता है कि वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से ही वन विभाग में घटिया निर्माण कर भ्रष्टाचार किया जा रहा है । अब देखना यह है कि वन बीट घोघरा के भ्र्ष्टाचार पर वरिष्ठ अधिकारियों व सगोनी रेन्ज द्वारा क्या कार्यवाही प्रस्तावित की जाती है। वन मण्डल दमोह की कई वन बीट में घटिया किस्म की सामग्री से निर्माण कार्य किया जा रहा है
क्योंकि वन मण्डल दमोह की खानापूर्ति उनके कार्यालय में ही हो जाती है इसलिए मौके स्थल पर जो निर्माण होता है उसकी जांच करने नहीं जाते कि कैसा निर्माण कार्य हो रहा है इसलिए वन बीट अपनी मनमर्जी से निर्माण कार्य कर लेते हैं और सगोनी रेन्ज के अधिकारियों की मिलीभगत से मूल्यांकन कर राशि भी निकाली जाती है और उनको कुछ मतलब ही नहीं रहता है कि निर्माण कार्य कैसे हो रहा है क्योंकि उनके घर का पैसा नहीं सरकार का पैसा लग रहा है जो अधिकारियों की मिलीभगत से उस पैसे को पानी की तरह बर्बाद किया जा रहा है शासन गांव के विकास के लिए लाखों रुपए खर्च करती है ताकि जंगल का विकास हो सके लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से जंगल का विकास नहीं हो पाता है और शासन को लाखों रुपए का सगोनी रेन्ज द्वारा चूना लगाया जाता है अब देखना यह है कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इस पर क्या कार्यवाही की जाती है

जब इस संबंध में सगोनी रेंजर कार्तीकेई मंडलोई जी से बात की तो उनका कहना है कि आपने जानकारी निकाली है कि वह है बिल्डिंग काहे की बन रही है वन विभाग की पंचायत विभाग की तो मैंने कहा कि वन विभाग की सगोनी रेंजर बोले मौका स्थल को दिखवाकर जांच करवाता हूं

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