नर रूप में नारायण बन पहुंचे डा. मुजीब खान बेवा शांति शर्मा के घर चेहरे पर दिखी बरसों पहले गायब मुस्कुराहट,कुंण्डेश्वर टाइम्स प्रबंध सम्पादक शिवरतन नामदेव की स्पेशल रिर्पोट

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कटरा- हमने किस्से कहानियों में पढ़ा था कि नर रूप में नारायण दुखियों के दुख का हरण करने कभी ना कभी पहुंचते जरूर है, जिसे हमने कल प्रत्यक्ष देखा।बाक्या ग्राम पंचायत घुमा तहसील त्योंथर जिला रीवा का है जहां मुफलिसी का जीवन जी रहा एक परिवार शांति शर्मा का है,इनके पति जमादार शर्मा जिन्हें कुछ लोग जगदीश शर्मा के नाम से भी जानते थे, जो एक प्राइवेट परिवहन कंपनी बुंदेलखंड ट्रांसपोर्ट की बस में कंडक्टरी करते थे। जो रीवा में किराए का मकान लेकर परिवार सहित रहते थे, जिनकी विगत 10 12 साल पहले हार्टअटैक से मौत हो गई थी।इनका किराए का मकान कांग्रेस नेता मुजीब खान के पास रीवा में था स्वर्गीय श्री शर्मा मृदुल स्वभाव के थे, जिस कारण मोहल्ले के सभी लोग उनके परिवार से स्नेह रखते थे, श्री शर्मा की मौत के बाद उनका परिवार अपने पैतृक गांव घुमा में आकर रहने लगा, स्व. श्री शर्मा के दो बेटियां जिनमें एक की शादी हो चुकी है, एक छोटी बेटी और एक मूक-बधिर बालक और पत्नी शांति शर्मा है,जिनके भरण-पोषण के लिए गांव में कोई साधन नहीं है, इनके पास जमीन नाम मात्र की है जिसमें इनका भरण-पोषण नहीं हो पाता, अलबत्ता इन्हें कुछ सरकारी इमदाद जैसे पेंशन एवं राशन सुविधा उपलब्ध हो रही है,जिससे किसी तरह शांति शर्मा अपने परिवार का गुजर-बसर कर रही हैं पंचायत द्वारा प्रधानमंत्री आवास देने को बोला गया जिससे अपना पुराना कच्चा मकान गिरा दिया।एक किस्त दे दी गई, जिससे कुछ दीवाल बनाई गई उसके बाद यह कहकर पैसा रोक दिया गया कि ए जमीन आपके नाम नहीं है, हमने गलती से इस योजना में आपका नाम जोड़ दिया था अब आगे की किस्त नहीं मिलेगी। सरपंच और सचिव की गलती का खामियाजा आज शांति शर्मा भोग रही हैं जितनी दीवाल उठी थी उतने में ही आधे में टीना और आधे में पन्नी लगाकर रह रही हैं, इनकी मुफलिसी भरी जिंदगी की खबर किसी के माध्यम से दैनिक भास्कर अखबार में छपी जिससे रीवा के समाजसेवी एवं कांग्रेस के नेता ने पढ़ा,उन्हें पुराने दिन याद आए, उन्हें लगा कि शर्मा परिवार की मदद होनी चाहिए और 17 जून को पहुंचकर शांति शर्मा से मिले तो श्रीमती शर्मा के सजल नेत्र और होठों पर मुस्कुराहट इस पल का वर्णन करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है, श्री खान 5100/-सौ रुपए और 2 माह के लिए खाद्य सामग्री सौंपते हुए रुंधे गले से कहा भाभी जी जब से आप लोग रीवा से चले आए तब से आपका पता नहीं था मेरे पास जब मैंने अखबार में पढ़ा, तब मैं आप तक पहुंच पाया, स्वाभिमानी शांति शर्मा ने पैसे लेने से इनकार किया तो श्री खान ने कहा कि आप अपना बेटा समझ कर ले लीजिए हम चुनाव लड़ने के लिए नहीं आप और शर्मा जी के रीवा में बिताए स्नेहिलन पलों के लिए एक पड़ोसी के नाते दे रहे हैं। और अपना फोन नंबर देते हुए कहा कि जब भी आप आवश्यकता महसूस करो हमें याद करना ।ए यह सब देख कर ऐसा लगा कि वाकई में नारायण नर के रूप में दुखियों की सेवा करने पहुंचते जरूर।हम धन्यवाद देते हैं दैनिक भास्कर अखबार का जिन्होंने शांति शर्मा के मुफलिसी भरी जिंदगी की खबर प्रकाशित किया जिसके कारण शांति शर्मा को श्री मुजीब खान द्वारा मदद मिल सकी और अपेक्षा करते हैं देश के सभी अखबारों से कि वो ऐसी खबरों को प्राथमिकता से प्रकाशित करें जिससे इस तरह के जरूरतमंदों को मदद मिल सके।आग्रह करते हैं समाज के उन लोगों से जो हो धनवान हैं वह अपने आसपास के लोगों को भूखे न सोने दे। ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूं जिला रीवा एवं तथा तहसील के प्रशासन का की शांति शर्मा के घर को दुरुस्त कराएं और उनके मुकवधिर बेटे को किसी विद्यालय या अन्य सरकारी संस्थान में कम से कम चपरासी के पद पर ही तैनात कर दें, जिससे शांति शर्मा अपनी छोटी बेटी की शादी कर सके और उनके परिवार का भरण पोषण होता रहे।मुजीब खान जब घुमा पहुंचे तो उनके साथ उनका बेटा श्री नजीब खांन, साथ में श्री रणवीर राय यादव, डॉक्टर बी एल भूर्तिया, श्री अशोक गुप्ता, पत्रकार इनामुल राज त्यौंथर, पूर्व सरपंच रामकिशोर यादव, श्री राम खेलावन पटेल, शिवरतन नामदेव आदि लोग उपस्थित रहे।

शिवरतन नामदेव, प्रबंध सम्पादक कुंण्डेश्वर टाइम्स

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